बेटी की सूझबूझ

आज विद्यालय का वातावरण गहमागहमी में था । सविता अध्यापिका जैसे ही विद्यालय पहुंची, उसे परिंदों की फड़फड़ाहट से एहसास हो गया कि आज जरूर कुछ घटना घटित हुई है। 

वह इस विद्यालय में काफी वर्षों से कार्यरत थी । अंदर पहुंचने पर पता चला कि एक बच्चे के पिता किसी वाहन से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हुए व मृत्यु को प्राप्त हो गए । 

विद्यालय में परीक्षाएं चल रही थी, परीक्षा देने बच्ची विद्यालय में नहीं आई । बच्ची के घर फोन कर उसे बुलाया गया क्योंकि उसका गणित का पेपर था । प्रधानाचार्य ने सभी बच्चों को एकत्र कर मौन रखा व हेलमेट नहीं लगाने के दुष्परिणामों के बारे में बताया। क्योंकि उस बच्ची के पिता हेलमेट नहीं लगाने के कारण ही दुर्घटना के शिकार हो गए थे । सभी बच्चों ने अपने घर जाकर हेलमेट लगाने के फायदे बताएं । लेकिन फिर भी विद्यालय की एक बच्ची थी जिसके कहने के बावजूद भी उसके पिता उसका कहना ना मान कर लापरवाही करते थे। 

हेलमेट नहीं लगाते थे, उस बच्ची ने विद्यालय आकर अपने अध्यापकों को बताया। अध्यापकों ने उनके घर जाकर उस बच्ची के पिता को हेलमेट के महत्व के बारे में समझाया । उस दिन के बाद से उन्होंने हेलमेट लगाना शुरू कर दिया। एक दिन वह भयंकर दुर्घटना के शिकार हो गए। उनके सिर में चोट आई, लेकिन सभी का यही कहना था कि सिर में हेलमेट लगाने के कारण बच गए अन्यथा मौत हो सकती थी । फिर भी उनको अस्पताल ले जाया गया डॉक्टर्स टीम ने कहा आज आपको सिर्फ हेलमेट ने ही बचाया है । आपके सिर में हेलमेट नहीं होता तो गंभीर चोटें आ सकती थी । बच्ची वही खड़ी पिता को देख रही थी । पिता ने अपने बच्ची को सीने से लगाया। भगवान को भी धन्यवाद दिया कि ऐसी होनहार बेटी सभी को दे ।


तारीख: 22.09.2025                                    बबिता कुमावत




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